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स्किन इफ़ेक्ट और प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट क्या होता है?

दोस्तों इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मे हमे स्किन इफ़ेक्ट(Skin effect) और प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट दोनों शब्द बार-बार सुनने को मिलते है। लेकिन काफी सारे लोगो को इन दोनों इफ़ेक्ट के बिच कन्फूजन बना रहता है।

लेकिन इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको स्किन इफ़ेक्ट और प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट दोनों अच्छे से प्रक्टिकली क्लियर हो जाएंगे और अगर इनसे जुड़ा कोई सवाल इंटरव्यू या एग्जाम में पूछा जाता है, तो आप पुरे कॉन्फिडेंस से उसका उत्तर दे सकोगे।

स्किन इफ़ेक्ट क्या होता है (What is Skin effect)?

दोस्तों, आपको यह तो पता होगा की DC करंट का मैगनीटुड़ समय के साथ चेंज नहीं होता है। यानी की कॉन्स्टेंट रहता है। जैसा की आप निचे फोटो में देख सकते है।

dc waveDC करंट वायर में एकसमान रूप से फॉलो होती है, यानी की वायर के अंदर और बाहर सतह पर एकसमान करंट फ्लो होती है।

लेकिन दोस्तों अगर हम AC करंट की बात करे तो उसका मैगनीटुड़ समय के साथ चेंज होता है। इसके कारण जो फ्लक्स उत्पन होता है, वो भी चेंजिंग होता है।

दोस्तों जिस तरह करंट कम से कम प्रतिरोध (resistance) वाले रस्ते से फ्लो होती है, उसी तरह फ्लक्स भी हमेशा कम से कम रिलक्टेंस (reluctance) वाले रस्ते से फ्लो होता है। अब अगर हम बात करे की रिलक्टेंस क्या होता है, तो दोस्तों रिलक्टेंस एक तरह का प्रतिरोध होता है, जो की फ्लक्स को फ्लो होने से रोकता है।

ac supplyआपको ध्यान रखना है- की फ्लक्स हमेशा कंडक्टर वायर के अंदर (सेंटर) से फ्लो होता है, क्योकि वायर के ऊपर हवा होती है और हम सभी को पता है की हवा का रिलक्टेंस बहुत ज्यादा होता है।

जब फ्लक्स वायर के अंदर से फ्लो होता है, तो वायर के अंदर का रेजिस्टेंस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। लेकिन फ्लक्स वायर के बाहर सतह से फ्लो नहीं होता है, इसलिए सतह का रेजिस्टेंस अंदर के मुकाबले बहुत कम होता है।

अंदर का रेजिस्टेंस बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण ही करंट वायर के अंदर से फ्लो नहीं होती, केवल बाहर सतह जहां रेजिस्टेंस कम होता है, वही से फ्लो होती है।

skin effect

दोस्तों करंट का पुरे वायर के अंदर एकसमान फ्लो ना होकर केवल सतह से करंट फ्लो होने को ही हम लोग स्किन इफ़ेक्ट कहते है। जैसे की आप ऊपर फोटो में देख सकते है की केवल बाहर सतह जहां लाल रंग है, वही से करंट फ्लो होता है। अंदर जहां वाइट एरिया है वहां कोई करंट फ्लो नहीं हो रही।

दोस्तों हमने यह तो बात कर ली की स्किन इफ़ेक्ट क्या होता है, अब बात कर लेते है की आखिर स्किन इफ़ेक्ट के नुकशान क्या होते है।

स्किन इफ़ेक्ट के नुकशान (Disadvantages of Skin Effect)?

High reluctance (हाई रिलक्टेंस):
जैसा की हमने ऊपर बातया की जब फ्लक्स वायर के अंदर से फ्लो होता है, तो उसका रिलक्टेंस बढ़ जाता है। जिस कारण हमारी करंट वायर के केवल ऊपर सतह से फ्लो होती है।

इसलिए दोस्तों वायर के अंदर का एरिया जहां से करंट फ्लो नहीं होती, वायर का वह हिस्सा हमारे किसी काम का नहीं है।यानि की वायर का उपयोगी एरिया, जो हमारे काम का है वह कम हो जाता है।

losses (लोस्स):
जब किसी वायर के अंदर करंट फ्लो होता है, तो उसमे कॉपर लोस्स यानि की I²R लोस्स होते है। ये लोस्स पूरी तरह से हीट के अंदर बदल जाते है। स्किन इफ़ेक्ट के कारण रेजिस्टेंस बढ़ जाता है, इसलिए कॉपर लोस्स भी बढ़ जाते है और हमारा कंडक्टर हीट होने लगता है।

स्किन इफ़ेक्ट क्यों होता है (Why Skin effect occurs)?

High frequency (हाई फ्रीक्वेंसी): जब frequency बढ़ती है तो रिलक्टेंस (XL = 2×π×f×L) बढ़ जाता है और स्किन इफ़ेक्ट भी बढ़ जाता है, इसलिए हमारी कम्युनिकेशन लाइन में ट्रांसमिशन लाइन के मुकाबले ज्यादा स्किन इफ़ेक्ट होता है।

Area of conductor (कंडक्टर एरिया): जब कंडक्टर का क्रॉस सेक्शनल एरिया बढ़ता है तो स्किन इफ़ेक्ट भी बढ़ता है।

स्किन इफ़ेक्ट को कैसे कम करे (How to Reduce Skin effect)?

स्किन इफ़ेक्ट के प्रभाव को कम करने के लिए हम लोग स्ट्रांड कंडक्टर का उपयोग करते है। स्ट्रांड कंडक्टर को अगर हम आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब होता है, की बहुत सारे छोटे और पतले कंडक्टर को एक साथ जोड़कर बड़ा कंडक्टर बनाना। जैसा की हमने ऊपर बताया था की अगर कंडक्टर क्रॉस सेक्शनल एरिया बढ़ता है, तो उसमे स्किन इफ़ेक्ट भी बढ़ जाता है लेकिन स्ट्रांड कंडक्टर में हम छोटे कंडक्टर का उपयोग करते है। उनका एरिया कम होता है, जिससे उनमे कम स्किन इफ़ेक्ट होता है। छोटे छोटे वायर से हमे कुल सरफेस एरिया भी ज्यादा मिलता है।

प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट क्या होता है (What is proximity effect)?

स्किन इफ़ेक्ट की तरह ही प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट भी AC करंट के कारण होता है। दोस्तों जब किसी कंडक्टर के अंदर से करंट फ्लो होता है, तो उसके बाहर एक मैग्नेटिक फ्लक्स जेनरेट होता है।

ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन में तो कंडक्टर बहुत ज्यादा दुरी पर होते है, लेकिन अंडर-ग्राउंड केबल में कंडक्टर पास-पास में होते है। जब दोनों कंडक्टर के मैग्नेटिक फ्लक्स एक दूसरे को कट करते है तो कंडक्टर के अंदर का रिलक्टेंस बढ़ जाता है। जिस कारण से उसमे से कम करंट फ्लो होने लगती है, इसी प्रभाव को हम लोग प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट कहते है।
underground cableदोस्तों प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट ज्यादातर अंडर-ग्राउंड केबल के अंदर ही होता है, क्योकि इसमें कंडक्टर पास-पास में होते है जबकि ओवरहेड लाइन में कंडकटर के बिच बहुत ज्यादा दुरी होती है, इसलिए उन पर ज्यादा मैगनेटिक फील्ड का प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट कैसे कम करे?

How we can reduce the Proximity effect?

  • कंडक्टर का साइज कम करके हम लोग प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट को काम करते है।
  • Frequency को कम करके प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट को कम किया जा सकता है।
  • दो कंडक्टर के बिच में दुरी बढ़ाकर भी प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट को कम किया जा सकता है।

इंटरव्यू में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न 

स्किन इफ़ेक्ट और प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट में क्या अंतर होता है?

What is Difference in Skin Effect and proximity Effect?

उत्तर- स्किन इफ़ेक्ट केवल एक कंडक्टर में होता है, लेकिन प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट किन्ही दो कंडक्टर के बिच में कम दुरी की वजह से होता है।

स्किन इफ़ेक्ट कैसे कम होता है?

How to reduce Skin Effect?

उत्तर- स्किन इफ़ेक्ट को कम करने के लिए frequency को कम कर सकते है, कंडक्टर के साइज को कम कर सकते है इसके अलावा स्ट्रेन्डेड कंडक्टर का उपयोग करके भी हम लोग स्किन इफ़ेक्ट को कम कर सकते है।

प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट कहाँ होता है?

Where Proximity Effect Occurs?

उत्तर- प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट ज्यादातर अंडर-ग्राउंड केबल के अंदर होता है, क्योकि उसमे कंडक्टरो के बिच में बहुत कम दुरी होती है।


तो दोस्तों उम्मीद है, की आपको स्किन इफ़ेक्ट और प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट से जुड़े सारे सवालों के जवाब मिल गये होंगे। अगर अभी भी कोई सवाल रह जाता है तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके बता सकते है या फिर हमे इंस्टाग्राम Electrical Dost” पर भी अपना सवाल भेज सकते है।

अगर आपको इलेक्ट्रिकल की वीडियो देखना पसंद है तो आप हमारे चैनल Electrical Dostपर विजिट कर सकते है।

मिलते है अगली पोस्ट में तब तक के लिए धन्यवाद 🙂

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