नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम PLC से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातो को जान लेंगे। इस पोस्ट की मदद से हम PLC क्या होती है, यह कैसे काम करती है। इसके अलावा पीएलसी किस जगह उपयोग में ली जाती है, PLC लगाने के फायदे और कुछ पीएलसी से जुड़े इंटरव्यू क्वेश्चन पर भी बात करेंगे।
हम सबसे पहले पीएलसी का पूरा नाम जान सकते हैं।
PLC- Programmable Logic Controller
पीएलसी- प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर
What is PLC in hindi
पीएलसी क्या होती है?
PLC को आप इलेक्ट्रिकल का कंप्यूटर बोल सकते है। इसका उपयोग आज के समय सभी इंडस्ट्री के अंदर काफी ज्यादा बढ़ गया है। plc का मुख्य काम इलेक्ट्रिकल सर्किट को आसान करने के लिए किया जाता है।
आप सभी ने इलेक्ट्रिकल की ड्राइंग तो जरूर देखी ही होगी। जब भी हम PLC का उपयोग करते है, तब हम इस इलेक्ट्रिकल ड्राइंग को कंप्यूटर के एक सॉफ्टवेयर में डिज़ाइन करते है। यह सॉफ्टवेर PLC का “लॉजिक” सॉफ्टवेयर कहलाता है।
इस PLC सॉफ्टवेयर में सर्किट बनाने को ही हम “पीएलसी प्रोग्राम” कहते है। और इन सभी कारणों से ही plc को इलेक्ट्रिकल का कंप्यूटर भी कहा जाता है। PLC की मदद से हम बड़े से बड़े इलेक्ट्रिकल सर्किट को कुछ ही समय में डिजाइन कर सकते हैं, और फिर काफी आसानी से सिस्टम में रन भी करा सकते है।
What is the need of PLC
PLC का उपयोग क्यों जरूरी है?
जैसा की हम सभी को पता है की आज के समय हर कंपनी में लगी मशीन ऑटोमेशन में चल रही होती है। ऑटोमेशन का मतलब आजकल हर मशीन ऑटोमैटिक हो गयी है।
मशीन के ऑटोमैटिक होने के कारण सभी काम काफी जल्दी से होने लग गए है। जिससे कंपनी का प्रोडक्शन भी बढ़ रहा है।
हम अभी बार-बार ऑटोमैटिक की बात इसलीए कर रहे है, क्योंकि इस ऑटोमेशन के पीछे plc का काफी बड़ा योगदान रहता है।
वैसे आपको एक बात यह पता होनी चाहिए की, मार्केट में plc आने से पहले भी हम मशीन को ऑटो में चलाया करते थे। उस समय यह काम हम RLC circuit की मदद से करते थे।
आज भी आपको कई कंपनी में rlc सर्किट का उपयोग देखने को मिल सकता है। लेकिन इस RLC सर्किट के उपयोग मे कुछ फायदे तो कुछ नुकसान होते थे, इस वजह से अब सभी जगह धीरे धीरे पीएलसी का उपयोग किया जा रहा है।
PLC & RLC and circuit difference
पीएलसी और आरलसी सर्किट में अंतर
इन दोनो ही सर्किट का उपयोग कम्पनी में सबसे ज्यादा किया जाता है। पर अभी हम यह जान लेते है की क्यों आजकल सभी कंपनी धीरे धीरे plc सिस्टम को अपना रही है।
इसे आप काफी आसानी से समझ सकते है।
सबसे पहले आपको बता दे की RLC सर्किट के अंदर मशीन को ऑटोमैटिक करने के लिए हमे कई सारी relay और timer की जरूरत होती है। लेकिन जब हम plc की मदद से मशीन को ऑटोमैटिक करते है, तब हमे रिले और टाइमर नही लगाने पड़ते है।
अब हम plc और rlc सर्किट को एक उदाहरण से समझ लेते है।
जैसे की मान लीजिए की मेरे पास एक मोटर है और मुझे इसे कुछ समय चलाना है, और कुछ समय बंद रखना है। अब अगर हम ऐसा RLC सर्किट में करेंगे, तो हमे 1 relay और 1 timer की सबसे पहले जरूरत होगी। इसके बाद हम कुछ वायरिंग करके आसानी से यह सर्किट को पूरा कर लेंगे।
लेकिन अगर अब मैं आपको कहता हु की मेरी कंपनी में ऐसी 50 या 100 मोटर है। और सभी मोटर का शुरू और बंद होने का समय पूरी तरह से अलग अलग है। तो अब आप इसे ऑटो में डिज़ाइन कीजिए।
तो दोस्तो ऐसी कंडीशन के समय हम RLC को छोड़कर PLC सर्किट की तरह बढ़ जाते है।
क्योंकि अगर आपको ऐसा सर्किट rlc में डिज़ाइन करना होगा, तो आपको सबसे पहले 50 टाइमर और रिले को लाना होगा। उसके बाद में इनकी वायरिंग और इन सभी को पैनल में भी डिज़ाइन करना होगा। अगर आप यह RLC में करते है तो उसमे काफी ज्यादा समय लग जाता है, और हमारा पैनल भी काफी ज्यादा बड़ा और वायरिंग से भर जाता है।
इसके अलावा दोस्तो RLC सर्किट में हमारे सामने सबसे बड़ी मुसीबत तब आती है। जब हमे इस सर्किट में कुछ बदलाव करना होता है, या फिर कभी कोई फॉल्ट आता है तब उस प्रॉब्लम को सही करना भी काफी मुश्किल भरा होता है।
लेकिन अगर हमे यही काम PLC की मदद से करना होगा तो हमे ना तो कोई रिले या टाइमर की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा इस प्रकार का सर्किट हम आसानी से डिज़ाइन कर सकते है। और साथ में कभी जरूरत पड़ने पर इसमे कुछ मिनटो के अंदर बदलाव भी कर सकते है।
तो दोस्तो यह कुछ मुख्य कमी RLC सर्किट के अंदर होती है। और इन्ही की वजह से हम PLC सर्किट के साथ जुड़ जाते है। वैसे अभी मैंने आपको इन दोनो के बीच गिनती के अंतर बताए है, लेकिन इन दोनो में और भी काफी ज्यादा अंतर होता है।
Benefits of Programmable Logic Controller
पीएलसी उपयोग करने के फायदे:
- PLC लगाते समय हमे शुरुवाती कीमत कुछ ज्यादा देनी होती है, लेकिन जब हम इससे मिलने वाले फायदे को देखते है तो यह कीमत अपने आप कम हो जाती है।
- पीएलसी के अंदर सर्किट को डिज़ाइन करना काफी आसान होता है, इसके अंदर हम बड़े से बड़े सर्किट को आसानी से बना सकते है।
- अगर हमे भविष्य में हमारे इलेक्ट्रिकल सर्किट में कुछ बदलाव करने होते है तो वह plc सर्किट के अंदर काफी ज्यादा आसान है, लेकिन RLC सर्किट में ऐसा कर पाना काफी ज्यादा मुश्किल है।
- Plc के उपयोग से इलेक्ट्रिकल फॉल्ट को ढूढ़ना काफी आसान हो जाता है। जिसकी मदद से मशीन का ब्रेकडाउन समय काफी कम हो जाता है।
- पीएलसी के उपयोग से हमारे कई सारे इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट के खर्च खत्म हो जाते है। जैसे की हमारे टाइमर, रिले, ऐड ऑन ब्लॉक आदि हमे नही खरीदने पड़ते है।
- RLC सर्किट में कई सारे फॉल्ट वाइब्रेशन और कुछ समय उपयोग के बाद आने लग जाते है। क्योंकि इसमे सारी कंट्रोलिंग वायर के माध्यम से होती है। लेकिन plc में हमे यह समस्या देखने को नही मिलती है।
PLC Working and Connection
पीएलसी कैसे काम करती है और इसके कनेक्शन
दोस्तो plc के वर्किंग काफी ज्यादा आसान होती है। सभी plc कंपनी के अपने अलग अलग सॉफ्टवेयर होते है, सबसे पहले हम अपने कंप्यूटर में plc सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करते है। इसके बाद हमे किस तरह से मशीन को ऑपरेट करना है, उसके अनुसार हम इस सॉफ्टवेयर में सर्किट को डिज़ाइन करते है।
सर्किट को पूरी तरह से डिज़ाइन करने के बाद, सॉफ्टवेयर में बने इस लॉजिक को हम केबल की मदद से हमारी plc के अंदर डाल देते है।
ऐसा करने के बाद में plc इस सर्किट के अनुसार ही काम करती है, और हमारी मशीन आसानी से ऑटोमैटिक काम करने लग जाती है।
एक बात का हमेशा ध्यान रखे की plc हमेशा 24 volt DC सप्लाई पर ही काम करती है।
PLC के अंदर दो module लगे होते है।
- Input Module (इनपुट मॉड्यूल)
- Output Module (आउटपुट मॉड्यूल)
यह दोनो ही plc के एक मुख्य भाग है। इनपुट मॉड्यूल का काम plc को सूचना देना होता है। जैसे की हम चाहते है की एक switch को दबाते ही हमारी motor चल जाए।
तो इसके लिए सबसे पहले हमे उस स्विच की सूचना पीएलसी को देनी होगी। और यह सूचना हम इनपुट मॉड्यूल की मदद से देते है।
ऐसा करने के बाद में जब हमारे द्वारा स्विच को दबाया जाता है तो plc को पता चल जाता है की वह स्विच को दबाया गया है। इसके बाद का काम पीएलसी प्रोग्राम का होता है। अब हमने इस स्विच के दबने के बाद क्या प्रोग्राम कर रखा है वह शुरू हो जाता है।
अगर हमे कोई मोटर को चलाना है तो बटन के दबाने के बाद पीएलसी के आउटपुट मॉड्यूल से हमे सप्लाई मिल जाएगी। जिसकी मदद से हम हमारी मोटर को ऑपरेट करा लेते है।
Plc के input मॉड्यूल से limit switch, NO NC Switch, Sensors आदि को जोड़ा जाता है, और output मॉड्यूल में हमारे कॉन्टैक्टर, सोलेनिओड कॉइल, ड्राइव आदि को जोड़ा जाता है।
Input output module के अलावा plc का सबसे मुख्य पार्ट इसका cpu होता है। यह CPU पीएलसी का एक महवपूर्ण पार्ट है। हम जो भी सर्किट को डिज़ाइन करते है, वह इस cpu के अंदर ही स्टोर किया जाता है।
इस cpu के अंदर मोबाइल की तरह एक मेमोरी कार्ड होता है, उसी मेमोरी के अंदर हमारे सर्किट को स्टोर कर दिया जाता है। जिसके बाद हमारी मशीन उस सर्किट पर काम करने लग जाती है।
How to make program in PLC
पीएलसी में प्रोग्राम कैसे बनाया जाता है?
दोस्तो जैसा की मैंने आपको शुरुवात में बताया था की सभी Plc कंपनी का अपना खुद का अलग अलग सॉफ्टवेयर होता है, जिसके अंदर हम सर्किट को डिज़ाइन करके plc में फिट किया जाता है।
वैसे इन सभी सॉफ्टवेयर की बेसिक वर्किंग एक जैसी ही होती है, अगर आप इनमे से किसी एक को भी सिख लेते है तो आप सभी कंपनी के plc सॉफ्टवेयर में आसानी से काम कर पाओगे।
मैं अभी आपको भारत और दुनिया में सबसे उपयोग होने वाली मुख्य PLC कंपनी के नाम बता रहा हु, जिसकी मदद से आप इनकी वेबसाइट पर जाकर इन plc के बारे में अच्छे से जान सकते है।
● Allen Bradley ● Mitsubishi
● Schneider Electric ● Delta
● Siemens ● GE Fanuc PLC
इसके अलावा अगर आप plc programming को सीखना चाहते है। तो इसके लिए आपको सबसे पहले कुछ बेसिक इलेक्ट्रिकल के सिंबल का पता होता है। इसके साथ में आपको कंप्यूटर का कुछ बेसिक नॉलेज भी चाहिए होगा, ताकि आप आसानी से सर्किट डिज़ाइन कर पाओगे।
इसी के साथ में अगर आपको plc में काफी आगे तक जाना है, तो आप एक बार electrical के logic gate को जरूर समझ लीजिए। यह plc प्रोग्राम के समय आपको काफी मदद करेंगे।
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तो दोस्तो उम्मीद है आज आपके Programmable Logic Controller से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
इंजीनियरिंग दोस्त (Engineering Dost) से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। 🙂
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