जब कभी हम घर पर सोलर सिस्टम लगाने की सोचते है, तो हमारे सामने सोलर पैनल से जुड़े कई सवाल आ जाते है। क्योंकि मार्केट में हमे मोनो और पॉली दो प्रकार के सोलर पैनल देखने को मिलते है, जिनकी कीमत में भी काफी अंतर होता है। तो आज हम इन्ही दोनो Mono panel and Poly panel के बारे में अच्छे से समझ लेंगे।
भारत के अंदर दो नहीं तीन प्रकार के सोलर पैनल मिलते है।
- Mono crystalline (मोनो क्रिस्टलाइन)
- Poly crystalline (पॉली क्रिस्टलाइन)
- Thin film (थिन फिल्म)
इन तीनो सोलर पैनल में सबसे ज्यादा डिमांड मोनो पैनल और पाली सोलर पैनल की है, क्योंकि थिन फ़िल्म सोलर पैनल पुरानी टेक्नोलॉजी से बना सोलर पैनल है।
Mono panel and Poly panel की पहचान
हम सभी के मन में सबसे पहला सवाल यह होता है, की आखिर हम इन दोनो solar panel को कैसे पहचानेंगे। तो दोस्तो इसके लिए हमारे पास 2 तरीके होते है। पहला इनका रंग देखकर, और दूसरा इनके सेल को देखकर।
अगर आप इनके रंग को देखते है, तो आपको मोनो सोलर पैनल डार्क ब्लैक देखने को मिलता है। जबकि पाली सोलर पैनल का रंग डार्क ब्लू होता है।
जरूरी बात- आप इन पैनल के रंग को देखकर कभी भी फाइनल मत कीजिए। क्योंकि पैनल के ऊपर लगने वाले सुरक्षा काँच का कई कंपनी गलत उपयोग करके हमे बेवकूफ बनाती है।
सोलर पैनल की पहचान के लिए आप हमेशा सोलर सेल को देखिए। अगर आप पोली सोलर पैनल को देखते, तो इसके सेल आपको बिल्कुल चौकोर दिखेंगे। लेकिन अगर हम Mono पैनल को देखगे, तो इसके सेल के किनारों पर आपको कट देखने को मिलते है। मोनो पैनल के किनारी पर लगे कट आपको सफेद और काले रंग के देखने को मिलते है।
Difference Mono and Poly solar panel
- मोनो सोलर पैनल लगाते समय यह पोली सोलर पैनल की अपेक्षा कम जगह खाते है। मतलब अगर आप बिलकुल एक समान साइज(watt) की दोनो सोलर प्लेट को लेते है, तो इसमे मोनो सोलर प्लेट थोड़ी छोटी मिलती है।
- mono और poly दोनो सौलर पैनल के अंदर आपको कंपनी के द्वारा मिलने वाली वारंटी एक समान मिलती है। मतलब इन दोनों की लाइफ में ज्यादा अंतर नही होता है।
- मोनो सोलर पैनल की कीमत पॉली सोलर पैनल से ज्यादा होती है। आपको 100 वॉट के पैनल में लगभग 500 रुपए का अंतर देखने को मिल जाता है। अगर आप 1 KW का सोलर पैनल लगाने की सोच रहे है, तो Mono panel आपको poly पैनल से 4000-6000 रुपए महँगा मिलेगा।
- मोनो पैनल के सेल शुद्ध सिलिकॉन से मिलकर बने होते है, जबकि पाली पैनल के सेल कम शुद्ध सिलिकॉन से मिलकर बनाए जाते है।
- मोनो पैनल शुद्ध सिलिकॉन से बने होने के कारण इनकी एफिशिएंसी पोली सोलर पैनल से ज्यादा होती है। मोनो सोलर की एफिशिएंसी 20-23% तक होती है। जबकि अगर हम पोली सोलर पैनल की बात करे तो इनकी एफिशिएंसी 14-16% तक आती है।
धयान दे- कई कंपनी और लोग अपने प्रोडक्ट को बेचने और अच्छा मार्जिन पाने के लिए आपको कुछ गलत राय देती है।
जैसे- सबसे ज्यादा जुठ यह बोला जाता है की Poly सौलर पैनल कम धूप वाले इलाके में आपको इलेक्ट्रिसिटी नही देते है। इसलिए आपको Mono सोलर पैनल ही लगाना चाहिए, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है।
Mono और poly कौनसा सोलर पैनल लगाए?
जैसा की मैंने आपको ऊपर बताया था। mono सोलर पैनल शुद्ध सिलिकॉन से मिलकर बनाए जाते है, इस वजह से इनकी एफिशिएंसी पाली सोलर सेल से 5-6% ज्यादा होती है।
तो इसका मतलब यह है की मोनो सोलर पैनल पोली की अपेक्षा कम बिजली को वेस्ट करता है और आपको यह poly panel की अपेक्षा 5-6% ज्यादा बिजली देता है।
बादल होने पर क्या होगा- इस बात को मै एक उदाहरण से समझता हु।
जैसे- हमने मोनो और पाली दोनो सोलर पैनल को एक छत पर लगा रखा है और इस छत पर अभी धूप नही आ रही है। तो इस समय अगर मोनो पैनल आपको 10 एम्पेयर करंट दे रहा है तो वही पोली सोलर पैनल आपको 9.4 एम्पेयर करंट देगा।
मतलब आसान शब्दों में- mono और poly इन दोनो सोलर पैनल में सिर्फ इतना अंतर है, की मोनो आपको पोली की अपेक्षा 5-6% ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी देता है। क्योंकि मोनो सोलर पैनल में शुद्ध सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण इसकी एफिशिएंसी ज्यादा होती है।
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तो दोस्तो उम्मीद है, आज आपके Mono panel and Poly panel से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
इंजीनियरिंग दोस्त (Engineering Dost) से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद।
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