दोस्तो आज हम Transformer क्या होता है यह जान लेंगे, इसके अलावा आज मैं आपको 4 शब्दो में ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है यह भी समझा दूंगा।
What is transformer (ट्रांसफार्मर क्या है)
दोस्तो आपने मोटर को तो देखा ही होगा। मोटर एक इलेक्ट्रिकल उपकरण है, इसी तरह ट्रांसफॉर्मर भी इलेक्ट्रिकल उपकरण है। लेकिन मोटर और ट्रांसफार्मर में कुछ अंतर है। हम इसको आसान शब्दो में समझ लेते है।
जैसे- हम मोटर को इलेक्ट्रिकल की सप्लाई देते है और मोटर इस इलेक्ट्रिकल सप्लाई को रोटर को घूमने में खर्च कर देती है। परन्तु ट्रांसफार्मर इलेक्ट्रिकल सप्लाई को खर्च नही करता है यह इस सप्लाई को को आगे भेजने का काम आता है।
इसके अलावा हमको यह याद रखना है, की ट्रांसफार्मर एक स्टेटिक डिवाइस है। स्टेटिक डिवाइस का मतलब वह उपकरण जो बिल्कुल भी नही हिलता है। लेकिन मोटर की बात करे तो मोटर को चलाने पर रोटर घूमता है, इसलीए मोटर स्टेटिक उपकरण नही है।
Why we use Transformer (ट्रांसफॉर्मर क्यों लगाते है)
ट्रांसफॉर्मर का उपयोग हम कई जगह पर करते है, लेकिन इसका मुख्य उपयोग वोल्टेज को कम करने तथा ज्यादा करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण- जैसे हमारे पास एक 415 वोल्ट पर चलने वाली मोटर है, हमको इस मोटर को चलाना है। लेकिन हमारे घर के पास के इलेक्ट्रिकल खम्बे पर 11000 वोल्टेज है। अब अगर हम इस 11000 वोल्टेज को सीधे मोटर में देंगे तो हमारी मोटर खराब हो जाएगी।
तो इस समय हमको ट्रांसफॉर्मर की जरूरत पड़ती है, ट्रांसफार्मर की मदद से हम 11000 वोल्टेज को 415 वोल्टेज में बदलकर मोटर को देंगे और मोटर को चला लेंगे।
दोस्तो जैसा मैंने आपको शुरुवात में कहा था की, मैं आपको सिर्फ 4 शब्द बताऊँगा। उसके माध्यम से आप पूरा ट्रांसफॉर्मर समझ सकते है।
1.वोल्टेज 2.करंट 3.MMF 4.फ्लक्स
अब हम ट्रांसफॉर्मर की वर्किंग को समझ लेते है। सबसे पहले आप इस फ़ोटो ↑ को देखिए इसमे आपको एक बॉक्स जैसा दिख रहा है यह ट्रांसफार्मर के अंदर होता है। इसको इलेक्ट्रिकल भाषा में कोर कहा जाता है।
इस ट्रांसफार्मर की कोर के ऊपर ही वाइंडिंग को किया जाता है, और फिर इस वाइंडिंग के आखरी सिरे को ट्रांसफार्मर के बाहर निकाल दिया जाता है। और इस आखरी वायर पर ही हम इलेक्ट्रीकल सप्लाई को जोड़ देते है।
ध्यान रखे:- ट्रांसफार्मर के अंदर हम वोल्टेज को देते है, और वापस आउटपुट से हम हमारी जरूरत के अनुसार वोल्टेज को कम ज्यादा करके सप्लाई ले लेते है। हमे यह याद रखना है की इनकमिंग और आउटगोइंग दोनो सप्लाई की वाइंडिंग अलग अलग होती है।
अब हम (वोल्टेज-करंट-MMF-Flux) इन 4 शब्दों को समझ लेते है।
अब हम एक उदहारण से पूरी ट्रांसफार्मर की कार्यप्रणाली समझ लेते है। हमारे पास एक ट्रांसफार्मर है जिसके इनकमिंग में 11000 वोल्टेज जा रहे है और आउटपुट से हमे 415 वोल्टेज मिल रहे है।
सबसे पहले जैसे मैने बताया था की ट्रांसफार्मर के अंदर कोर होती है, इस कोर के ऊपर इनकमिंग और आउटगोइंग वाइंडिंग को किया जाता है। अभी सबसे पहले हमारे 11000 वोल्टेज लाइन की कैबल को हम इनकमिंग वाइंडिंग के आखरी सिरे से जोड़ देते है,ऐसा करने पर वोल्टेज और करंट वाइंडिंग में फ्लो होने लग जायेगें। जिसके कारण वाइंडिंग के आस पास MMF पैदा हो जाएगा।
What is MMF (MMF क्या है)
MMF का पूरा नाम- Magneto motive force(चुंबकत्व बल)
MMF का मतलब- इसका मतलब काफी आसान है की कभी भी किसी वायर(कंडक्टर) में से वोल्टेज और करंट के बहने पर इस वायर के आस पास मैग्नेटिक फील्ड बन जाता है, और इस मैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करके ही हम मोटर के अंदर रोटर को घुमाते है। ट्रांसफार्मर भी इस मैग्नेटिक फील्ड का उपयोग लेके काम करता है।
आपको सिर्फ इतना याद रखना है की कोई भी वायर है और अगर उसके अंदर से हम AC सप्लाई के वोल्टेज और करंट को फ्लो करा रहे है तो उस वायर के आस पास मैग्नेटिक लाइन बन जाती है। अब इसके बाद हमको flux को समझना है।
What is Electric Flux (फ्लक्स क्या है)
ट्रांसफार्मर में फ्लक्स और मैग्नेटिक फील्ड का आपस में सम्बन्ध है। जब हमारी किसी वायर या वाइंडिंग के आसपास मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है, और उस मैग्नेटिक फील्ड के अंदर हम किसी वायर(कंडक्टर) को लाते है। तो वह मैग्नेटिक फील्ड उस वायर(कंडक्टर) से लिंक हो जाती है मतलब जुड़ जाती है। इस प्रकिया को ही हम फ्लक्स कहते है।
ट्रांसफॉर्मर के अंदर मैग्नेटिक लाइन core से लिंक हो जाती है, इसे ही हम ट्रांसफार्मर के अंदर फ्लक्स कहते है।
हमको अब यह चारो शब्द आसानी से समझ में आ गये है, अब हम ट्रांसफार्मर की कार्यप्रणाली को काफी आराम से समझ लेते है।
दोस्तो सबसे पहले ट्रांसफार्मर की इनकमिंग वायर को हम कोर की पहली वाइंडिंग से जोड़ देते है। ऐसा करने से वाइंडिंग के आस पास मैग्नेटिक लाइन उत्पन हो जाती है।
यह मैग्नेटिक लाइन कोर से लिंक हो जाती है, और कोर से लिंक होने पर यह कोर के अंदर एक जगह से दूसरी जगह बहने लग जाती है, और आखरी के अंदर कोर के अंदर बहने वाला मैग्नेटिक फ्लक्स हमारी आउटगोइंग वाइंडिंग से लिंक हो जाता है, और हमको आउटपुट में सप्लाई मिल जाती है।
ट्रांसफार्मर वोल्टेज को कम-ज्यादा कैसे करता है?
यह काफी आसान है- अगर हमने इनकमिंग वाइंडिंग से आउटपुट की वाइंडिंग कम कर रखी है, तो मैग्नेटिक फ्लक्स आउटगोइंग वाइंडिंग से कम लिंक करेगा। जिसके कारण हमको आउटपुट में वोल्टेज कम मिलेंगे। यह Step down Transformer कहलायेगा।
और अगर आउटपुट की वाइंडिंग ज्यादा कर रखी है तो मैग्नेटिक फील्ड आउटपुट वाइंडिंग से ज्यादा लिंक करेगा और इस प्रकार हमको वोल्टेज ज्यादा मिल जायेगा। यह Step Up Transformer कहलायेगा।
यह भी पढ़े (Also read) |
ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते है |
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तो दोस्तो उम्मीद है आज आपके Transformer से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
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Sir rmu k bare m b btana kuch
Bahut hi achchhi concept aur knowledge mili hai
Thanks sir …. LT line and HT line insulators ke bare m …
NICE
Sir I appreciate your content it is really very helpful. Sir as asked earlier by Anil kumar, please explain us about the RMU ( Ring main unit )
Sab hi samaj me aa gaya sir!!!☺️
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