आज हम पावर ट्रांसफार्मर ओर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के बीच अंतर को जान लेंगे, यह प्रश्न लगभग सभी इलेक्ट्रिकल इंटरव्यू में पूछा जाता है। Power and Distribution Transformer difference
What is Power Transformer
पावर ट्रांसफार्मर क्या है?
वह ट्रांसफॉर्मर जो 33 किलोवोल्ट के ऊपर काम में लिए जाते है। जैसे- 33 KV, 66KV, 110KV, 220KV, 400KV, 765KV इन सभी वोल्टेज लेवल पर जो ट्रांसफार्मर काम करते है, वह पावर ट्रांसफार्मर होते है।
What is Distribution Transformer
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर क्या है?
वह ट्रांसफार्मर जो कि 11 किलोवोल्ट ओर इससे कम वोल्टेज पर काम करते है।
जैसे- 11KV, 6.6KV, 3.3KV, 415V, 220V इन वोल्टेज पर काम करने वाले ट्रांसफार्मर को डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर कहते है।
33KV और इसके ऊपर के वोल्टेज पर काम करने वाले ट्रांसफॉर्मर पावर ट्रांसफॉर्मर कहलाते है। और 33 KV के नीचे के वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर कहलाते है।
Difference between Power and Distribution Transformer
(पावर ट्रांसफार्मर ओर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर में अंतर)
- पावर ट्रांसफॉर्मर स्टेप अप ओर स्टेप डाउन दोनो के लिए उपयोग किए जाते है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर सिर्फ स्टेप डाउन के लिए इस्तेमाल किए जाते है।
मतलब – पावर ट्रांसफार्मर की मदद से वोल्टेज को कम तथा ज्यादा दोनों किया जा सकता है, परन्तु डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर से वोल्टेज को सिर्फ कम ही कर सकते है।
- पावर ट्रांसफार्मर का उपयोग वोल्टेज ट्रांसमिशन और वोल्टेज रिसीविंग में उपयोग में लिए जाते है। जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर सिर्फ डिस्ट्रीब्यूशन के लिए उपयोग होते है।
मतलब- पावर ट्रांसफार्मर का उपयोग वोल्टेज को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए किया जाता है, परंतु डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर का उपयोग वोल्टेज को कम करके इलेक्ट्रिकल उपकरण को चलाने के लिए करा जाता है।
- डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर को आखरी ट्रांसफॉर्मर (End transformer) भी कहते है। क्योंकि यह हमारे इलेक्ट्रिकल सिस्टम के अंदर सबसे आखरी में लगाया जाता है।
- पावर ट्रांसफॉर्मर में लोड fluctuation नहीं होता है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर में लोड फ्लक्चुएशन ज्यादा होता है।
मतलब– डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर से निकली इलेक्ट्रिकल सप्लाई को हम हमारे उपकरण से जोड़ते है। और हमारे इलेक्ट्रिकल उपकरण के बार बार बंद स्टार्ट होने से लोड फ्लक्चुएशन होता है।
- पावर ट्रांसफॉर्मर में कॉपर लॉस और आयरन लॉस फिक्स होता है और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर में आयरन लॉस फिक्स होता है, जबकि कॉपर लॉस इलेक्ट्रिकल लोड के साथ कम ज्यादा होता रहता है।
- पावर ट्रांसफॉर्मर को हमेशा फुल लोड पर कनेक्ट किया जाता है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर को हमेसा कम लोड पर जोड़ा जाता है।
मतलब- पावर ट्रांसफॉर्मर की एफिशिएंसी (efficiency) फुल लोड पर ज्यादा मिलती है, क्योंकि इन ट्रांसफॉर्मर को फुल लोड पर चलाने के हिसाब से बनाया जाता है। जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की एफिशिएंसी सबसे अच्छी तब रहती है, जब यह 50-70℅ लोड से जुड़े होते है।
- पावर ट्रांसफॉर्मर की फ्लक्स डेनसिटी (Flux Density) काफी ज्यादा होती है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की फ्लक्स डेनसिटी कम होती है। यह एक मुख्य कारण है पावर ट्रांसफॉर्मर की एफिशिएंसी अच्छी होने का।
- पावर ट्रांसफार्मरमें टैप चेंजर के उपयोग की जरुरत कम होती है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर में हम टैप चेंजर का इस्तेमाल अधिक करते है। टैप चेंजर का उपयोग आउटपुट में मिलने वाली वोल्टेज को कम ज्यादा करना।
- पावर ट्रांसफार्मर की साइज काफी ज्यादा होती है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की साइज काफी कम होती है।
- पावर ट्रांसफार्मर काफी महँगे होते है, इन ट्रांसफॉर्मर की कीमत डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर से 15 गुना ज्यादा होती है। डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की कीमत कम होती है।
Power and Distribution Transformer connection
पावर ट्रांसफार्मर का कनेक्शन दो तरह से होता है।
- Star to Delta (स्टार से डेल्टा)
- Delta to Star (डेल्टा से स्टार)
जबकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर को हमेशा सिर्फ Delta to Star(डेल्टा से स्टार) में ही जोड़ा जाता है।
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तो दोस्तो उम्मीद है आज आपके से Power Transformer and Distribution Transformer से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे, अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
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