आज हम लेथ मशीन क्या होती हे, लेथ मशीन के मुख्य पार्ट्स के नाम और उनके कार्य को जानेंगे। साथ ही लेथ मशीन में होने वाले ऑपरेशन को भी समझेंगे। lathe machine parts and operation working
What is Lathe Machine (लेथ मशीन क्या है)
Lathe machine को कई जगह टर्निंग मशीन भी बोला जाता है। इस मशीन का काम काफी आसान होता है।
जिस मटेरियल पर आपको कुछ काम करना है, मतलब उसकी बॉडी कुछ बदलाव करना है। उस मटेरियल को लेथ मशीन के चक पर लगाकर घुमाया जाता है। ओर फिर एक कटिंग टूल की सहायता से उस मेटीरियल पर जरूरत के हिसाब से कार्य किया जाता है।
लेथ मशीन के पार्ट्स (Lathe Machine Parts)
- बेड (Bed)
- टूल पोस्ट (Tool Post)
- चक (Chuck)
- हेड स्टॉक (Head stock)
- टेल स्टॉक (Tail stock)
- लीड स्क्रू (lead screw)
- लेग्स (Legs)
- कैरेज (Carriage)
- एप्रोन (Apron)
- चिप्स पेन (Chips pen)
- स्पिनडल (Spindle)
बेड (bed)- यह लेथ मशीन का मैन बॉडी पार्ट्स होता है। लेथ मशीन के सारे उपकरण इस बेड के ऊपर ही जुड़े होते है(नट बोल्ट के सहारे)
यह कास्ट आयरन(ढलवाँ लोहा) का बना होता है। इसे फ्लोर के साथ जोड़ दिया जाता है।
टूल पोस्ट(Tool Post)- यह कैरेज के साथ जुड़ा होता है। टूल पोस्ट का उपयोग कटिंग टूल को होल्ड करने के लिए होता है। टूल पोस्ट के ऊपर में एक टूल होल्डर होता हैं।
टूल होल्डर के उपयोग से लेथ मशीन पर होने वाले ऑपरेशन के लिए जिस भी कटिंग टूल की जरूरत होती है। उसे टूल होल्डर की मदद से होल्ड किया जाता है।
चक (Chuck)– चक का प्रयोग वर्क पीस को होल्ड करने के लिए किया जाता है। चक को बोल्ट के सहारे स्पिनडल के साथ जोड़ा होता है।
जब स्पिनडल घूमता है, तो साथ में चक भी घूमता है। वर्कपीस जिस पर हमको काम करना है वह चक से जुड़ा होता है। जिससे वर्क पीस भी घूमने लगता है।
हमारी जरूरत हिसाब से चक दो प्रकार के होते है।
- तीन जॉव चक (Three Jaw Chuck)
- चार जॉव चक (Four Jaw Chuck)
इसके अलावा मैगनेटिक जॉव चक भी आते है। इसमें मैगनेट का प्रयोग होता है।
हेड स्टॉक (Head stock)- यह लेथ मशीन का मैन बॉडी पार्ट्स होता है। यह बेड के लेफ्ट साइड(दाया तरफ) पर लगा होता है।
गियर चैन, स्पिनडल, ड्राइविंग पुल्ली सभी को होल्ड करने के लिए हेड स्टॉक का इस्तेमाल होता है। यह कास्ट आयरन (ढलवाँ लोहा) का बना होता है।
टेल स्टॉक (Tail stock)- यह बेड के राइट साइड(बाया) होता है।
इसका मुख्य कार्य यह है कि जब हम लेथ पर कार्य करते है, तब टेल स्टॉक जॉब को सपोर्ट करता है।
ड्रिल ऑपरेशन के समय भी हम टेल स्टॉक का उपयोग करते है।
लीड स्क्रू (Lead Screw)- यह बेड के नीचे होता है।
इसका प्रयोग कैरेज को ऑटोमेटिक मूव करने के लिए होता है।
लेग्स (legs)- यह मशीन के पुरे वजन को सभालते है। ओर इसे फ्लोर के साथ बोल्ट की सहायता से जोड़ा जाता है।
लेथ मशीन पर कार्य कर दौरान मशीन काफी ज्यादा वाइब्रेशन होती है इस वजह से लेग्स को बोल्ट की मदद से फ्लोर पर जोड़ा जाता है।
कैरेज (Carriage)- यह हेड स्टॉक व टेल स्टॉक के बीच में फिट होता है। यह टूल पोस्ट को होल्ड करता है।
यह टूल पोस्ट को बेड के ऊपर-नीचे व दाये-बाये मूव कराता है। यह कास्ट आयरन का बना होता है।
एप्रोन (Apron)- यह कैरेज के अंदर होता है।
यह कैरेज के सारे कन्ट्रोल व मूवीग मेकनिजम को सम्भालता है।
चिप्स पेन (Chips pen)- यह बेड के नीचे की तरफ होता है। जब लेथ मशीन के ऊपर कोई ऑपरेशन होता है, तब जॉब के बारीक कण चिप्स पेन में गिरते है।
यह मशीन ओर हमारी सेफ्टी के लिए काफी जरूरी है।
स्पिनडल (Spindle)- यह लेथ मशीन का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट होता है। यह चक को होल्ड करने का काम करता है।
मतलब चक स्पिनडल के साथ ही जुड़ा होता है। जब स्पिनडल घूमता है तो उसके साथ में चक भी घूमता है।
Lathe Machine Operation (लेथ मशीन कार्यविधि)
लेथ मशीन पर वर्कपीस मतलब जॉब मेटीरियल को हमारी जरूरत के सेप में बदला जाता है। सबसे पहले वर्कपीस को चक के अंदर होल्ड कराया जाता है। जब चक घूमता तब साथ में हमारा जॉब मेटीरियल भी घूमता है।
इसके बाद हम कटिंग टूल की मदद से हम वर्कपीस को हमारी जरूरत के अनुसार बदल लेते है।
लेथ मशीन होने वाले ऑपरेशन
- Facing (फेसिंग ऑपरेशन)
- Turning (टर्निग ऑपरेशन)
- Grooving (ग्रूविंग ऑपरेशन)
- Drilling (ड्रिलिंग ऑपरेशन)
- Boring (बोरिंग ऑपरेशन)
Facing (फेसिंग ऑपरेशन)– सबसे पहले चक पर वर्कपीस को होल्ड कराया जाता है। ओर फेसिंग के लिए जो टूल होता है। उस टूल को टूलपोस्ट पर लगाया जाता है।
इसके बाद चक को घुमाकर वर्कपिस को घुमाया जाता है। बाद में फेसिंग टूल को वर्क पीस पर दाये-बाये(horizontal) चलाया जाता है।
वर्कपीस के फेस का उसके मतलब लास्ट के हिस्से को स्मूथ(चिकना) किया जाता है।
वर्कपिस के फेस को स्मूथ करने के लिए करने वाले ऑपेरशन को फेसिंग ऑपेरशन कहा जाता है।
Turning (टर्निग ऑपरेशन)- इसमे भी चक वर्क पीस को होल्ड करता है। इसके बाद टर्निग टूल को टूल पोस्ट लगाया जाता है। इस टूल को वर्कपिस के ऊपर स्लाइड कराया जाता है। इसे दाये-बाये(horizontal) चलाते है।
टर्निग ऑपेरशन में वर्कपीस के डाया को कम किया जाता है। ओर वर्क पीस के सरफेस को चिकना किया जाता है।
Grooving (ग्रूविंग ऑपरेशन)- यह भी टर्निंग ऑपरेशन की तरह होता है, परन्तु टर्निंग ऑपरेशन में वर्कपीस की पूरी सतह को एक ही साइज में रखा जाता हे।
परन्तु ग्रूविंग ऑपरेशन में हम अलग अलग डाया के टूल को लगाकर एक वर्कपीस पर अलग अलग सतह बना सकते है।
Drilling (ड्रिलिंग ऑपरेशन)- इस ऑपेरशन में टेल स्टॉक के साथ में ड्रिलिंग चक को जोड़ा जाता है। इसके बाद टेल स्टॉक के चक को घुमाया जाता है।
वर्कपीस के अन्दर ड्रिलबिट को डाला जाता है। और इस तरह से ड्रिलिंग ऑपरेशन पूरा होता है।
Boring (बोरिंग ऑपरेशन)- बोरिंग व ड्रिलिंग में यह अंतर होता है। ड्रिलिंग में हम जो ड्रिलबिट का उपयोग करते है, उसकी वजह से वर्क पीस में जो होल होता वो होल चूड़ीदार होता है। और बोरिंग ऑपरेशन में होल चूड़ीदार नही होता है।
ड्रिलिंग में होल की साइज(डाया) छोटा होता है। जबकि बोरिंग में अधिकतर हम अंदर के डाया को ज्यादा बड़ा करते है। और इस तरह से बोरिंग का ऑपरेशन होता है।
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तो दोस्तो उम्मीद है आज आपके Lathe Machine से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे, अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
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sir aap bahot achchha kam kar rahe hai mera request hai ki aap hindi me swichyard relays ke bare me bhi kuchh jankari de dhanyvaad
Thanks sir ji aap ne meri current job me bahut help ki
Nice
Thanks sir Mera trade hi turner hai thanks sír
Nice sir