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लुब्रिकेशन किसे कहते है। Lubrication System in Hindi

इंजीनियरिंग दोस्त की आज इस पोस्ट में हम Lubrication क्या होता है, लुब्रिकेशन कितने प्रकार के होते है। सही तरह से लुब्रिकेशन करने के फायदे जानेंगे। Lubrication System in Hindi

What is lubrication (लुब्रिकेशन क्या है)

ऐसा पदार्थ जो दो धातुओ के चलने पर उनके बीच बनने वाली रगड़ मतलब घर्षण को कम करे, वह लुब्रिकेशन कहलाता है।

लुब्रिकेशन की एक पतली परत दोनो धातुओ की सतह के बीच पर लगाई जाती है, जिससे यह दोनो धातु सीधे संपर्क में नही आ पाते है।

lubrication types (स्नेहक के प्रकार)

लुब्रिकेशन तीन प्रकार के होते है।

  1. तरल (liquid)
  2. ठोस (solid)
  3. अर्द्ध ठोस (semi solid)

तरल- इस लुब्रिकेशन में मोबिल आयल, गियर आयल आते है।

ठोस- इस स्नेहक में सीसा व सोप स्टोन आते है।

अर्द्धठोस- इस स्नेहक में ग्रीस आता है।


मोबिल आयल (Mobil oil)

lubrication-system-types-in-hindiयह आयल इंजन के अंदर के पार्ट्स को लुब्रिकेंट करता है। । इसका उपयोग एयर क्लीनर, डायनमो  और गाड़ियों के इंजन में भी करते है।

मोबिल आयल का उपयोग SAE रेटिंग के हिसाब किया जाता है SAE रेटिंग मौसम के अनुसार चलती है ठन्डे मौसम में कम SAE रेटिंग के ऑइल का इस्तेमाल किया जाता है।  

गियर आयल (gear oil)

यह आयल इंजन आयल से थोड़ा मोटा होता है। यह आयल गियर व डिफ्रेंसल में प्रयोग होता है। 

ग्रीस (Greece)

यह अर्द्ध ठोस प्रकार का लुब्रिकेंट है। यह काफी ज्यादा प्रचलित है। जैसे बेयरिंग, शाफ़्ट, व्हील, हब आदि में हम ग्रीस का ही उपयोग करते है।

Properties of lubricants (लुब्रिकेंट के गुण)

1. विस्कोसिटी (viscosity)

किसी भी तरल पदार्थ के बहने की दर को विस्कोसिटी कहा जाता है। पानी की विस्कोसिटी काफी कम होती है इसलीए वह आसानी से बह जाता है जबकि आयल की विस्कोसिटी पानी से अधिक होती है।

2. तैलीयपन (oiliness)

किसी भी सतह को गिला तथा चिकना रखने के गुण को तैलीयपन कहते है।

3. फायर पॉइंट (fire points)

कोई भी लुब्रिकेंट कितने टेम्प्रेचर पर जाकर गर्म होकर जलने लगता है, उसे लुब्रिकेंट का फायर पॉइंट कहते है।
यह फ्लैश पॉइंट जितना ज्यादा होता है लुब्रिकेंट उतना अच्छा माना जाता है। 

Benefits of lubrication (लुब्रिकेशन के लाभ)

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  1. यह दो पार्ट्स के बीच होने वाले गिसाव को कम करता है।
  2. लुब्रिकेशन रगड़ कर चलने वाले पार्ट्स का टेम्परेचर व आयतन बढ़ने से रोकता है।
  3. घर्षण के कारण होने वाली आवाज को कम करने का काम करता है।
  4. यह पार्ट्स को जंग लगने से भी बचाता है।

उपयोग के आधार पर Lubrication System के प्रकार
  1. स्पलैश लुब्रिकेशन प्रणाली (splash lubrication system)
  2. फोर्स्ड फीड लुब्रिकेशन प्रणाली (forced feed lubrication system)

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स्पलैश लुब्रिकेशन प्रणाली- इस लुब्रिकेशन सिस्टम में आयल का छिड़काव किया जाता है। जब इंजन स्टार्ट होता है तब क्रैंक शाफ़्ट द्वारा ऑइल चेम्बर का आयल, इंजन के सभी भागो और पिस्टन पर छिड़क दिया जाता है।

फोर्स्ड लुब्रिकेशन प्रणाली- इस सिस्टम में एक ऑइल पंप को लगाया जाता है। आयल पंप का काम आयल चेम्बर में भरे आयल को प्रेशर के साथ ऑयल गेलेरी मे भेजकर पुरे सिस्टम को ऑइल से लुब्रिकेशन देना होता है।

Parts in lubrication System

लुब्रिकेशन सिस्टम के भाग?

  1. ऑइल सम्प(Oil tank) 
  2. स्टेनर
  3. बेल्ट
  4. आयल पंप
  5. आयल फिल्टर
  6. आयल प्रेशर गेज
  7. आयल गैलेरी

आयल सम्प- इस आयल सम्प को इंजन के निचले भाग में लगाया जाता है। आयल सम्प के अन्दर आयल को भर दिया जाता है।

स्टेनर- स्टेनर आयल सम्प में लगा रहता है। स्टेनर आयल पंप से जुड़ा होता है।
इसका मुख्य कार्य आयल सम्प मे रखे आयल को छानकर आयल पंप तक ले जाना होता है।

बेल्ट- बेल्ट आयल पंप से जुड़ी होती है। यह आयल पंप को चलाने का कार्य करती है।
कही कही पर बेल्ट का उपयोग नही किया जाता है उसमे आयल पंप गियर के द्वारा केम केम शाफ़्ट से जुड़े होते है।

आयल पंप- इससे आयल को खीचकर आयल को आयल गैलेरी तक भेजा जाता है। आयल पंप मे दो पोर्ट होते है। एक इनलेट पोर्ट व दूसरा आउटलेट पोर्ट
इनलेट पोर्ट से आयल पंप के अंदर जाता है। आउटलेट पोर्ट में आयल बाहर निकलता है।

आयल फिल्टर- यह आयल को फिल्टर करता है। जब आयल इंजन के भागो तक पहुचता है। तो पार्ट्स के टकराने के कारण उनके छोटे छोटे महीन कण आयल सम्प में पहुच जाते है। जिसमें आयल को फिल्टर करने की आवश्यकता होती है। इसलिये आयल फिल्टर को लगाते है। आयल फिल्टर तीन प्रकार के होते है।

  • कार्टीज़ टाइप
  • ऐज टाइप
  • सेफ्टीफ्युगल टाइप

आयल प्रेशर गेज- यह आयल के प्रेशर को बताने का काम करता है।

आयल गैलेरी- इसमे आयल क्रेंक शाफ़्ट में से होकर कैम शाफ़्ट मैं जाता है। कैम शाफ़्ट में जो होल होते है। जिसे ड्रिल होल कहते है। इन्हीं को आयल गैलेरी कहा जाता है। 

Oil pump types (ऑइल पंप के प्रकार)

लुब्रिकेशन मे उपयोग होने वाले ऑइल पंप चार प्रकार के होते है।

  • वेन टाइप आयल पंप (vane type oil pump)
  • प्लंजर टाइप आयल पंप  (plunger oil pump)
  • गियर टाइप ऑइल  पंप (gear type oil pump)
  • रोटर टाइप आयल पंप (rotor type oil pump)

वेन टाइप आयल पंप- यह बेलनाकार होते है। इसमें दो पोर्ट होते है। पहला इनलेट व दूसरा आउटलेट पोर्ट कहलाता है।

इसके अंदर एक ड्रम होता है। जब इंजन घूमता है तो वह ड्रम भी घूमने लगता है। जिसके कारण इनलेट पोर्ट से आयल खीचकर, प्रेशर के साथ आउटलेट पोर्ट से आयल बाहर निकल जाता है। फिर यह आयल गैलेरी में चला जाता है।

प्लंजर टाइप आयल पंप- इस पंप में प्लंजर लगा होता है। यह प्लंजर पंप की बॉडी के साथ-साथ ऊपर नीचे चलता रहता है।

जब यह ऊपर जाता है तो आयल अंदर आता है और जब प्लंजर नीचे जाता है, तब ऑइल बाहर निकल जाता है।

गियर टाइप ऑइल  पंप- इस पंप को इंजन के सबसे नीचे लगाया जाता है। केम शाफ्ट पर एक स्पाइरल गियर बना होता हैं जो ऑइल पंप से जुड़ा होता है। इस पंप में दो गियर होते है।

जब इंजन चलता है तब केम शाफ्ट से जुड़ा पंप भी घूमता है। ओर दोनों गियर घूमने लगते है। जिससे इनलेट पोर्ट में आयल अंदर आता है। आउटलेट पोर्ट से ऑइल बाहर निकल जाता है।

रोटर टाइप पंप- यह भी गियर पंप के समान ही काम करता है। इसमे गियर की जगह दो रोटर का उपयोग होता है।
पहला इनर रोटर व दूसरा आउटर रोटर कहलाता है।

इनर रोटर को आउटर रोटर के अंदर फिट किया जाता है। यह पूरी तरह से गियर ऑइल पंप की तरह ही काम करता है, जब इंजन घूमता है तो इसमें लगे रोटर भी घूमते है ओर आयल को प्रेशर के साथ ऑइल  गैलेरी में भेज देते है।


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तो दोस्तो उम्मीद है आज आपके लुब्रिकेशन किसे कहते है और Lubrication System जुड़े सवालो के जवाब मिल गए होंगे, अगर आपके अभी भी कोई सवाल Lubrication System से जुड़े है तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।

इंजीनियरिंग दोस्त (Engineering Dost) से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। 🙂 

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This Post Has 14 Comments

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