दोस्तो आज की इस पोस्ट मे हम जानेंगे की ट्रांसफार्मर में कोन कोन से मैन पार्ट्स होते है ओर उनका काम क्या होता है इसे अच्छे से जान लेंगे। (Transformer Parts Name and Working)
ट्रांसफार्मर के महत्वपूर्ण पार्ट्स के नाम
- Transformer Core (ट्रांसफॉर्मर कोर)
- Winding (वाइंडिंग)
- Tank (ट्रांसफॉर्मर टैंक)
- Transformer Oil (ट्रांसफॉर्मर ऑइल)
- Terminal and Bushing (टर्मिनल एंड बुशिंग)
- Conservator Tank (कन्सरवेटर टैंक)
- Buchholz Relay (बुकोज रिले)
- Breather (ब्रीथर)
- Radiator and Cooling Tube (रेडिएटर और कूलिंग ट्यूब)
- Explosion Valve (एक्सप्लोसिअन वाल्व)
- OTI and WTI
- Tap Changer (टेप चेन्जर)
Transformer Core(ट्रांसफॉर्मर कोर)
ट्रांसफार्मर की कोर आयरन या फिर सिलीकान स्टील से बनाई जाती है।
ट्रांसफॉर्मर कोर का कार्य- कोर का काम मैग्नेटिक फ्लक्स को रास्ता देना होता है। मतलब ट्रांसफार्मर में जो फ्लक्स उत्पन होती है, वह कोर की सहयता से ही पहली वाइंडिंग से दूसरी वाइंडिंग तक पहुँच पाता हे।
कोर बहुत सारी पतली पतली सीट से मिलकर बना होता है। एक सीट की मोटाई लगभग आधे mm (०.5 mm) की होती है , 0.5 mm की कई शीट को मिलाकर कोर को बनाया जाता है।
पर शीट को जोड़ने से पहले सभी शीट को laminate करते है, ताकि एड्डी करंट लॉस ट्रांसफॉर्मर में ज्यादा नही बड़े।
Transformer Winding ( ट्रांसफार्मर वाइंडिंग)
वाइंडिंग- ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग कोर के ऊपर की जाती है। यह वाइंडिंग कॉपर की बनी होती है।
वाइंडिंग के ऊपर भी इंसुलेशन की कोटिंग होती है, ताकि वाइंडिंग एक दूसरे से शार्ट ना हो।
Transformer Tank (ट्रांसफॉर्मर टैंक)
टैंक- ट्रांसफॉर्मर टैंक के अंदर ही कोर ओर वाइंडिंग को रखा जाता है। ट्रांसफॉर्मर टैंक काफी मोटे मेटल से बनाया जाता है। इसकी मोटाई काफी ज्यादा होती है।
यह पूरी तरह से सील पैक होता है, मतलब इसमे हवा जाने जितना भी गैप नही होता है। ट्रांसफॉर्मर टैंक को ऑइल टैंक भी कहा जाता है।
Transformer Oil (ट्रांसफॉर्मर ऑइल)
ट्रांसफार्मर ऑइल- ट्रांसफॉर्मर का टैंक पूरा आयल(oil) से भरा होता है, ट्रांसफार्मर में आयल के दो काम होते है।
- हमारे ट्रांसफॉर्मर को ठंडा (cooling) रखना।
- ट्रांसफार्मर के अंदर इंसुलेशन (insulation conductivity) बनाये रखना।
ट्रांसफॉर्मर मे उपयोग किये जाने वाला आयल कोई नार्मल ऑयल नही होता है, यह मिनरल आयल होता है।
Terminal and Bushing (टर्मिनल एंड बुशिंग)
बुशिंग की मदद से ही हम ट्रांसफॉर्मर के अन्दर सप्लाई दे ओर ले पाते है।
टर्मिनल एंड बुशिंग काम यह होता है। जब भी हम कोई वायर ट्रांसफॉर्मर की वाइंडिंग पर जोड़ना चाहते है, तो वह वायर गलती से ट्रांसफॉर्मर की बॉडी के टच ना हो जाए। यह सेफ्टी के लिए काफी जरूरी है।
बुशिंग लो वोल्टेज और हाई वोल्टेज के लिए अलग अलग होती है।
Conservator Tank (कन्सरवेटर टैंक)
इसके अंदर भी हम ट्रांसफार्मर ऑइल को भरा जाता है, पर कन्सरवेटर टैंक में कभी भी ऑइल से पूरा नही भरते है। इसके अंदर कुछ जगह खाली छोड़ी जाती है।
यह एक पाइप के जरिये मैन टैंक से जुड़ा होता है, यह ट्रांसफॉर्मर का काफी महत्वपुर्ण हिस्सा है।
Buchholz Relay (बुकोज रिले)
यह काफी जरूरी पॉइंट है। जो इलेक्ट्रिकल के काफी इंटरव्यू मे पूछा जाता है।
बुकोच रिले एक सेफ्टी डिवाइस है, यह ट्रांसफॉर्मर को सेफ्टी देने का काम करती है।
इसको ट्रांसफॉर्मर मैन टैंक और conservator tank के बीच मे लगाया जाता है। यह ट्रांसफॉर्मर आयल मे होने वाली हलचल को समझता है। ओर जब कभी भी कोई फाल्ट जैसी स्तिथि होती है, तो यह अलार्म सिग्नल देता है।
Buchholz relay मे दो रिले होती है।
एक कोई छोटा फाल्ट होने पर सिंगनल देने का काम करती है, और दूसरी कोई बड़ा फाल्ट होने पर सूचना देती है। इसे हम सर्किट ब्रेकर से जोड़कर रखते है, ताकि कोई भी फाल्ट होने पर सप्लाई ऑटोमैटिक ऑफ हो जाए।
Breather (ब्रीथर)
यह conservator tank के साथ जुड़ा होता है।
इसका काम ट्रांसफॉर्मर के अन्दर की एयर को बाहर निकालना और बाहर की हवा को फिल्टर करके ट्रांसफॉर्मर के अन्दर भेजना। मतलब यह हमारी नाक की तरह काम करता है।
Radiator and Cooling Tube(रेडिएटर और कूलिंग ट्यूब)
रेडियेटर ट्रांसफॉर्मर के मैन टैंक के साथ जुड़ा होता है। यह मोटे स्टील से बनाया जाता है।
इसकी मदद से ही ट्रांसफॉर्मर का गर्म ऑइल ठंडा होता है। रेडियेटर को कूलिंग ट्यूब भी कहा जाता है।
Explosion Valve (एक्सप्लोसिअन वाल्व)
इसका काम कभी ट्रांसफॉर्मर मे कोई काफी बडा फाल्ट होने पर होता है।
जैसे- कभी ट्रांसफार्मर मे breather(ब्रीथर) चॉक होने के कारण काम नही कर रहा और बुकोच रिले भी किसी कारणवस काम नही रही।
उस समय ट्रांसफॉर्मर के अंदर के गरम आयल को एक्सपैंड मतलब फैलने के लिए जगह नही मिल पाएगी। उस कंडिक्शन मे ट्रांसफॉर्मर का explosion valve खुल जाता है। जिससे ट्रांसफार्मर में आग लगने की संभावना कम हो जाती है।
OTI and WTI Indicator
OTI फुल फॉर्म- Oil Temperature Indicator (ऑइल टेम्परेचर इंडिकेटर)
WTI फुल फॉर्म- Winding Temperature Indicator (वाइंडिंग टेम्परेचर इंडिकेटर)
OTI का काम ट्रांसफॉर्मर के अंदर भरे ऑइल का टेम्परेचर बताना होता है। और WTI का काम ट्रांसफॉर्मर वाइंडिंग के टेम्परेचर को बताना है।
इन दोनो के अन्दर एक रिले भी होती है जिसको हम हमारे अनुसार सेट कर सकते है। अगर टेम्परेचर सेट पॉइन्ट से ज्यादा होता है तब हमे रिले अलार्म सिग्नल भेजती है।
Tap changer (टेप चेन्जर)
टेप चेंजर का काम वोल्टेज को रेगुलेट करना होता है, मतलब टेप चेंजर की सहायता से हम हमारी जरूरत के हिसाब से ट्रांसफॉर्मर के आउटपुट वोल्टेज को कम ज्यादा कर सकते है।
Tap changer भी दो तरह के आते है।
On load tap changer- इसकी मदद से हम ट्रांसफॉर्मर से जुड़े लोड की कंडीशन मे भी वोल्टेज कम ज्यादा कर सकते है।
Off load Tap changer- यहाँ पर अगर हमे वोल्टेज कम ज्यादा करने है, तो हमको ट्रांसफॉर्मर से जुड़े लोड को पहले बन्द करना पड़ता है।
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तो दोस्तो आज आपके Transformer Parts Name and Working से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल transformer parts name से या फिर इलेक्ट्रिकल से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
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